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Class 10th Hindi Important Subjective Question |
यहां पर Class 10th Hindi Important Subjective Question दिया गया है जो झारखंड बोर्ड परीक्षा 2025 के लिए अति महत्वपूर्ण है । ये सभी प्रशन 07 मार्च 2025 हिंदी की परीक्षा में पूछे जाने की पूरी संभावना है ।
Q.1. बिस्मिल्ला खां को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक क्यों कहा गया है? [2009, 10,14, 15,16,18,20,22, M.SET-22]
उत्तर-
लोकगीतों एवं चैती में शहनाई का उल्लेख बार-बार मिलता है। शहनाई को मंगल का परिवेश प्रतिष्ठित करने वाला वाद्य यंत्र माना गया है। इसका प्रयोग इन जगहों पर मांगलिक विधि-विधानों के अवसर पर ही होता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन के क्षेत्र में अद्वितीय स्थान रखते हैं। इसीकारण उन्हें शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा गया है।
Q.2. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है? [2009, 11, 12, 14, 15, 18, 24]
उत्तर-
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को निम्नलिखित कारणों से याद किया जाता है-
1. डुमराँव विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक बिस्मिल्ला खाँ की जन्मभूमि है।
2. शहनाई बजाने में जिस ‘रीड’ का प्रयोग होता है, वह मुख्यतः डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है। यह रीड, नरकट एक प्रकार की घास से बनाई जाती है।
3. इस समय डुमरांव के कारण ही शहनाई जैसा वाद्य बजाता है । इस प्रकार दोनों में गहरा रिश्ता है ।
3.सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
[2011, 12, 14, 16, 23, 24]
उत्तर- सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों का भरपूर सम्मान करता था। वह नेताजी की मूर्ति को बार-बार चश्मा पहनाकर देश के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रकट करता था। देश के प्रति त्याग व समर्पण की भावना उसके हृदय में किसी भी सेनानी या फौजी से कम नहीं थी। इसी कारण लोग उसे कैप्टन कहते थे।
4.खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ? [2009, 12, 13, 16, 24]
उत्तर – बालगोबिन भगत गृहस्थ थे। वे साधु तो थे पर वैसे साधु नहीं। सामान्यतः माना जाता हैकि वे साधुओं जैसे कपड़े न पहनते थे तथा वैसे धार्मिक किया अनुष्ठान नहीं करते थे। बालगोविन अपनी निम्नांकित चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे-
(क) वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और खरा व्यवहार रखते थे।
(ख) वे स्पष्टवादी थे और किसी से खामखाह झगड़ा मोल नहीं लेते थे।
(ग) वे दूसरों की किसी चीज या स्थान को अपने व्यवहार में नहीं लाते थे।
(घ) वे अपने खेत में उत्पन्न वस्तु को कबीरपंथी मठ में ले जाते थे। वहाँ से प्रसाद स्वरूप जो मिलता उसे घर लाकर अपनी गुजर चलाते थे।
(ङ) वे सुख-दुख की भावना से ऊपर थे ।
5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे ?
[JAC-2023, 19, 15, 11, 13, 9]
उत्तर-
काशी जो संगीत, साहित्य और आदर की परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध कि थी । अब वहाँ की परम्पराओं में परिवर्तन आ गया था। गायकों के मन में संगतकारों के प्रति आदर नहीं रहा, घंटो किए जाने वाले रियाज को कोई नहीं पूछता था। संगीत, साहित्य, आदर की अधिकतर परम्पराएँ समाप्त हो गई थीं। इन सबको देखकर बिस्मिल्ला खाँ व्यथित हो उठे थे।
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6. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है ?
[JAC-2023, 19, 9, M.Set-22]
उत्तर-बच्चे की मुस्कान निश्छल, स्वाभाविक, उन्मुक्त, सभी को प्रभावित करने वाली होती है। बच्चे की मुस्कान दिव्य सौंदर्य से परिपूर्ण होती है। उनके मुस्कान में आकर्षण होता है।
बड़े व्यक्ति की मुस्कान में निश्छलता नहीं होती, बल्कि परिस्थिति सापेक्ष होती है। बड़ों की मुस्कान में कृत्रिमता होती है। बड़ा व्यक्ति बँधी हुई मुस्कान ही बिखेर पाता है। बड़े व्यक्ति की मुस्कान में नैसर्गिक सौन्दर्य नहीं होता है ।
7. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचकर यदि व्यक्ति लड़खड़ाते हैं वा है। तब उसके सहयोगी किस प्रकार सँभालते हैं ? [JAC-2011, 14, 19, 23]
उत्तर- सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान ऐसे अनेक अवसर की आते हैं, जब व्यक्ति लड़खड़ाने लग जाता है। ऐसे समय उसके सहयोगी ही उसे बल, उत्साह, शाबासी और साथ देकर सँभालते हैं। अच्छे सहयोगी उसके लिए अपनी जान की बाजी लगा देते हैं।
8. लक्ष्मण के स्वभाव की विशेषताएँ लिखें । [2010, 11, 12, 23]
उत्तर- लक्ष्मण के स्वभाव की विशेषताएँ :
I. लक्ष्मण तर्कशील स्वभाव वाले थे।
II. लक्ष्मण अत्यंत बुद्धिमान थे ।
III. लक्ष्मण व्यंग्य करने में प्रवीण थे।
IV. लक्ष्मण क्रोधी स्वभाव के थे।
V. लक्ष्मण वाक्पटु थे।
9. अट नहीं रही है’ कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?
[2014, 20, M.Set-23]
उत्तर- ‘अट नहीं रही है’ कविता में कवि ‘निराला’ ने प्रकृति की वास्तविक सुन्दरता का व्यापक वर्णन किया है। उसे हर जगह छलकता हुआ दिखाया है। ‘कहीं साँस लेते हो’, का आशय है कि मादक हवाएँ चल रही हैं। घर-घर में भरने के भी अनेक रूप हैं। शोभा का भरना, फूलों का भरना, खुशी और उमंग का भरना। ‘उड़ने को पर-पर करना’ भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है, जिसके विस्तृत अर्थ हैं।
10.कवि नागार्जुन के अनुसार ‘फसल’ क्या है? [2009, 12,18]
उत्तर- कवि के अनुसार फसल पानी, मिट्टी, धूप, हवा एवं मानव-श्रम का की मिला-जुला रूप है। इसमें सभी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ है। कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू, मनुष्य के हाथों के स्पर्श की महिमा, भूरी-काली मिट्टी का गुण-धर्म, सूरज की किरणों का रूपांतरण तथा हवा की – थिरकन का सिमटा हुआ रूप है।
11.संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं का सहयोग करते हैं ?
[2009, 10, 13, 16, 20]
उत्तर- संगतकारं निम्नलिखित रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं-
I. वे मुख्य गायक-गायिकाओं के ऊँचे स्वर में अपना स्वर मिलाते हैं।
II. गायक-गायिका जब अंतरे की जटिल तान में खो जाते हैं, तब वे स्थायी को सँभाले रहते हैं।
III. गायक-गायिका जब सुर से भटक जाते हैं, तब संगतकार स्थायी पंक्ति के गायन द्वारा उन्हें सही सुर में वापस लाते हैं।
IV. वे गायक गायिका के अकेलेपन के एहसास को दूर करते हैं।
V. वे गायक-गायिका के पीछे छूटे हुए सामान को समेटते हैं।
12. हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को क्यों निहारते थे ? [2012]
उत्तर : हालदार साहब का हमेशा चौराहे पर रुकना और नेताजी को निहारना यह प्रकट करता है कि उनके अंदर देशभक्ति की प्रबल भावना थी और वे स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले महापुरुषों का हृदय से आदर करते थे।
13. पठित पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए। [2010, 15,19]
Ans. बालगोबिन भगत प्रभु-भक्ति के मस्ती भरे गीत गाया करते थे। उनके गानों में सच्ची टेर होती थी। उनका स्वर इतना मोहक, ऊँचा और आरोही होता था कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते थे। औरतें उस गीत को गुनगुनाने लगती थीं। खेतों में काम करने वाले किसानों के हाथ और पाँव एक विशेष लय में चलने लगते थे। उनके संगीत में जादुई प्रभाव था। वह मनमोहन प्रभाव सारे वातावरण पर छा जाता था। यहाँ तक कि घनघोर सर्दी और गर्मियों की उमस भी उन्हें डिगा नहीं पाती थी
14.बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
[2011, 12, 14, 16, 18]
उत्तर-बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों को हैरान कर देती थी। वे भगत जी की सलरता, सादगी और निस्वार्थता पर हैरान होते थे। भगत भूलकर भी को किसी से कुछ नहीं लेते थे। वे बिना पूछे किसी की चीज भी नहीं छूते थे। यहाँ तक कि किसी दूसरे के खेत में शौच भी नहीं करते थे। वे उठकर दो मील दूर-स्थित नदी में स्नान कर आते थे। वापसी पर गाँव के बाहर को स्थित पोखर के किनारे प्रभु-भक्ति के गीत टेरा करते थे। यही कारण है कि बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण थी ।
15. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए ?
[17, 24 M.Set-23]
उत्तर-गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म यह होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके।
16. लक्ष्मण ने वीर योद्ध की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं ? [JAC-2010, 23]
उत्तर- लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताएँ बताईं – वीर योद्धा धैर्यवान होते हैं। वे क्षोभ से रहित होते हैं। वीर पुरुष किसी को अपशब्द नहीं कहते। शूरवीर युद्ध के मैदान में वीरतापूर्ण कार्य करके दिखाते हैं। वे अपनी वीरता के बारे में अपने मुँह से नहीं बताते। वे युद्ध में शत्रु को उपस्थित पाकर अपने प्रताप की डींग नहीं मारते हैं ।
17. गंगटोक को मेहनतकश बादशाहों’ का शहर क्यों कहा गया है? [JAC-2023, 18, 17, 14, 11, 9]
उत्तर- ‘मेहनतकश’ का अर्थ है-कड़ी मेहनत करने वाले। ‘बादशाह’ का अर्थ है- मन की मर्जी के मालिक। गंतोक एक पर्वतीय स्थल है। पर्वतीय क्षेत्र होने के नाते यहाँ की स्थितियाँ बड़ी कठिन हैं। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यहाँ के लोग इस मेहनत से घबराते नहीं और ऐसी कठिनाइयों के बीच भी मस्त रहते हैं। इसलिए गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा गया है।
18. लेखिका (मन्नु) के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा। लिखिए। [2013, 22, SET 22]
उत्तर : लेखिका के व्यक्तित्व पर मुख्य रूप से दो व्यक्तियों का प्रभाव पड़ा।
पिताजी का प्रभाव- लेखिका के व्यक्तित्व को बनाने बिगाड़ने में उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने ही लेखिका के मन में हीनता की भावना पैदा की। उन्होंने ही उसे शक्की बनाया, विद्रोही बनाया। उन्होंने ही लेखिका को देश और समाज के प्रति जागरूक बनाया। उसे रसोईघर और सामान्य घर-गृहस्थी से दूर एक ते प्रबुद्ध व्यक्तित्व दिया। लेखिका को देश के प्रति जागरूक बनाने में उनके पिता का ही योगदान है ।
शीला अग्रवाल का प्रभाव-लेखिका को क्रियाशील, क्रांतिकारी और आंदोलनकारी बनाने में उनकी हिन्दी-प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का योगदान है। शीला अग्रवाल ने अपनी जोशीली बातों से लेखिका के मन में बैठे संस्कारों को कार्य-रूप दे दिया। उन्होंने लेखिका के खून में शोले भड़का दिए। पिता उसे चारदीवारी तक सीमित रखना चाहते थे, परन्तु शीला अग्रवाल ने उसे जन-जीवन में खुलकर विद्रोह सिखा दिया। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो मन को गुदगुदा गया।
19. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ? [2011, 14, 16]
उत्तर- बालक का स्वभाव होता है अपने हमजोली देखकर उन्हीं के साथ रहना, घूमना-फिरना, खेलना पसन्द करता है। बालक भोलानाथ जब अपने पिता की गोद में सिसक रहा था। रास्ते में उसे अपने मित्र दिखाई देते हैं तो अचानक उसका सिसकना बन्द हो जाता है और अपने पिता की गोद से उतरकर अपने मित्रों के पास जाने की इच्छा व्यक्त करता है। भोलानाथ भी अपने मित्रों के साथ खेलना चाहता है ।
20. ‘माता का आँचल’ पाठ में माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
[2009,11,13, 22]
उत्तर : माता का आँचल में पिता-माता के वात्सल्य का बहुत ही सरस और मनमोहक वर्णन हुआ है। बच्चे के पिता अपने बच्चे से माँ जैसे प्यार करते हैं। वे बच्चे को अपने साथ सुलाते हैं, नहाते-धुलाते हैं और खाना भी खिलाते हैं। उन्हें यह सब करने में बहुत आनंद मिलता है। वे कभी अपने बच्चे को डाँटते-फटकारते नहीं । वे माँ यशोदा की तरह बच्चे को एक-एक क्रीड़ा में पूरी रुचि लेते हैं। वे उसके एक-एक खेल को मानो भगवान भोलानाथ की लीला मानकर साथ देते हैं। पिता बच्चे से हर संभव लाड़ करते हैं उसके साथ खेलते हैं। उससे जान-बूझकर हारते हैं। फिर उसे चूमते हैं, कंधे पर बिठाकर घूमते हैं। इन सारी क्रियाओं में उन्हें बहुत आनंद मिलता है।
बच्चे की माता भी मानो ममता की मूर्त्ति है। उसे इस बात का बोध है कि बच्चे का पेट तो महतारी के खिलाने से ही भरता है। उसका मन बच्चे को खिलाने-पिलाने और पुचकाने-दुलराने के लिए तरसता है। वह बच्चों से लाड़-प्यार करने में पारंगत हैं वह भरपेट खाना खाए हुए बच्चे को भी अपनी वात्सल्य-कला में रिझाकर ढेर सारा और भोजन करा देती हैं या उसकी ममता का ही प्रसाद है कि बच्चा अपने पिता के संग रहने का अभ्यासी होने पर भी माँ का आँचल खोजता है। विपत्ति में उसे माँ की गोद ही अधिक सुरक्षित प्रतीत होती है। माँ का ममतालु मन इतना भावुक है कि वह बच्चे को डर के मारे काँपता देखकर रोने ही लगती है। उसकी यह ममता पाठक को बहुत परे प्रभावित करता है।
21. जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं ? [2014, 17, 18, 19, 20]
उत्तर – जितेन नार्गे बहुत ही कुशल ड्राइवर है। वह नेपाल का रहने वाला है। वह एक कुशल गाइड की तरह गंतोक के बारे में बताता है। जब लेखिका एक स्थान पर मुग्ध हो ठहर जाती है तो वह उसे समझाता है कि आगे इससे भी सुन्दर स्थान है। वह लांग स्टॉक के व्हील के बारे में बताता है। जब लेखिका पहाड़िनों को देख उदास हो जाती है तब वह उसे उसका लक्ष्य ध्यान दिलाता है। वह नेपाल में हुई हिंसक घटनाओं तथा माओवादियों की भी पूरी खबर रखता है। इस प्रकार जितेन की तरह गाइड को बहुमुखी प्रतिभा का धनी, कर्त्तव्य निभाने वाला, अनुभव तथा देश के प्रति सजग होना चाहिए। यह जितेन का अनुभवी होने का फायदा था, जो सैलानियों की गाड़ी को इतनी धुंध में भी अंदाज से चला लाया था। इन सबके अलावा गाइड को हर स्थान का सूक्ष्म ज्ञान भी होना चाहिए।
22. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान (भाग्यशाली) कहने में क्या व्यंग्य निहित है | [2012, 19]
उत्तर-गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि उद्धव वास्तव में भाग्यवान न होकर अति भाग्यहीन हैं। वे कृष्णरूपी अद्वितीय सौंदर्य और प्रेम-रस के सागर के सान्निध्य में रहते हुए भी उस असीम आनंद से वंचित हैं। वे प्रेम-बंधन में बँधन एवं मन के प्रेम में अनुरक्त होने की सुखद अनुभूति से पूर्णतया अपरिचित हैं।
23. गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना किससे की है ?
उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते और जल में रखे तेल के गागर से की गई है.
कमल के पत्ते और तेल के गागर से तुलना करने का कारण:
कमल का पत्ता नदी के पानी में रहता है, लेकिन पानी का उस पर कोई असर नहीं पड़ता. इसी तरह, उद्धव भी श्री कृष्ण के साथ रहने के बावजूद उनसे प्रभावित नहीं हुए.
जल के बीच रखे तेल के गागर पर पानी की एक बूंद भी नहीं टिक पाती. इसी तरह, उद्धव पर भी श्री कृष्ण के प्यार का कोई असर नहीं पड़ा.
24. ‘माता का अँचल’ पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों। [2018, 19, 23, M.Set-23]
उत्तर- ‘माता का आँचल’ पाठ का सबसे रोमांचक प्रसंग वह है जब एक साँप सब बच्चों के पीछे पड़ जाता है। तब वे बच्चे किस प्रकार गिरते-पड़ते भागते हैं और माँ की गोद में छिपकर सहारा लेते हैं- इस प्रसंग ने मेरे हृदय को भीतर तक हिला दिया।
इस पाठ में गुदगुदाने वाले कई प्रसंग हैं। विशेष रूप से बच्चे के पिता का मित्रतापूर्वक बच्चों के खेल में शामिल होना मन को छू लेता है। जैसे ही बच्चे भोज, शादी का खेल खेलते हैं, बच्चे का पिता बच्चा बनकर उनमें शामिल हो जाता है। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो मन को गुदगुदा गया।